IGNOU BHDAE-182 Solved Assignment July 2022-23

IGNOU BHDAE-182 Solved Assignment July 2022-23  


The Indira Gandhi National Open University's BHDAE 182 course appears to require completion of assignments as a part of the course requirements, suggesting that this is a necessary aspect of the course.

"हिन्दी भाषा और संप्रेषण" translates to "Hindi Language and Comprehension" in English. It is likely a course or subject that focuses on the study of the Hindi language, including its grammar, vocabulary, and comprehension skills. The course may also involve reading and analyzing various Hindi texts, as well as writing and speaking in Hindi.


1. हिंदी भाषा की विकास यात्रा पर प्रकाश डालिये।


हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्य रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था 'अवहट्ट से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं। चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ट को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया।


साहित्य की दृष्टि से पद्यबद्ध जो रचनाएँ मिलती हैं वे दोहा रूप में ही हैं और उनके विषय, धर्म, नीति, उपदेश आदि प्रमुख हैं। राजाश्रित कवि और चारण नीति, शृंगार, शौर्य, पराक्रम आदि के वर्णन से अपनी साहित्य- रुचि का परिचय दिया करते थे।

यह रचना-परम्परा आगे चलकर शौरसेनी अपभ्रंश या प्राकृताभास हिन्दी में कई वर्षों तक चलती रही। पुरानी अपभ्रंश भाषा और बोलचाल की देशी भाषा का प्रयोग निरन्तर बढ़ता गया। इस भाषा को विद्यापति ने 'देसी भाषा कहा है, किन्तु यह निर्णय करना सरल नहीं है कि 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग इस भाषा के लिए कब और किस देश में प्रारम्भ हुआ। हाँ, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि प्रारम्भ में 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग विदेशी मुसलमानों ने किया था।

इस शब्द से उनका तात्पर्य 'भारतीय भाषा का था।

हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा हैं. किन्तु व्यवहारिक रूप से इसे यह सम्मान अभी तक प्राप्त नहीं हो पाया हैं. हिंदी भाषा को उसका वास्तविक सम्मान नही दिए जाने का मुख्य कारण भाषावाद हैं.

भारत में अनेक भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं. भारत के संविधान में 22 भाषाओँ को मान्यता प्राप्त हैं. इन सभी भाषाओं में हिंदी भारत की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हैं. 

भाषा की बहुलता का ही नतीजा हैं कि देश में भाषावाद सी स्थिति उभरी हैं. जिससे हिंदी को नुकसान उठाना पड़ रहा हैं।

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2. मौखिक सम्प्रेषण की अवधारण एवं प्रकारो पर परिचय दीजिये


मौखिक संप्रेषण में संदेश देने वाला तथा संदेश प्राप्त करने वाला दोनों आमने-सामने होते है अर्थात् इसमें समाचारों का आदान-प्रदान मौखिक रूप से किया जाता है अर्थात् शब्दों व वाक्यों के सहारे जब संप्रेषण किया जाता है तो उसे मौखिक संप्रेषण या मौखिक संचार कहते है।


जब कोई संवाद या सूचना मुख से उच्चारण कर प्रेषित की जाए तो इसे मौखिक संप्रेषण कहेगें। मौखिक संदेशवाहन दोनों पक्षों के मध्य प्रत्यक्षरूप मे वार्तालाप द्वारा, टेलीफोन पर बात करके, विचारगोष्ठियों में भाग लेकर, सम्मेलनों मे उपस्थित होकर, सूचना प्रसारण यंत्रो के माध्यम से, घंटी या सीटी बजाकर या अन्य कोई संकेत द्वारा भी किया जाता है। कभी-कभी तो मुख मुद्रा या शारीरिक अंगों के विशेष संचालन द्वारा भी भावाभिव्यक्ति की जाती है। इसे भी हम मौखिक संदेशवाहन की कोटि में शामिल कर सकते है।


मौखिक संचार से तात्पर्य संचारक द्वारा किसी सूचना अथवा संवाद का मुख से उच्चारण कर संवाद प्राप्तकर्ता को प्रेरित करने से है। दूसरे शब्दों में, जो सूचनायें या संदेश लिखित न हो वरन् जुबानी कहें या निर्गमित किये गये हो उन्हें मौखिक संचार कहते हैं। इस विधि के अन्तर्गत संदेश देने वाला तथा संदेश पाने वाले दोनों एक- दूसरे के सामने होते है इस पद्धति में व्यक्तिगत पहुँच सम्भव होती है। लारेन्स एप्पले के अनुसार, "मौखिक शब्दों द्वारा पारस्परिक संचार सन्देशवाहन की सर्वश्रेष्ठ कला है।

मौखिक संचार के साधन आमने सामने दिये गये आदेश, रेडियो द्वारा संचार, दूरदर्शन, दूरभाष, सम्मेलन या साभाएँ, संयुक्त विचार-विमर्श, साक्षात्कार, उद्घोषणाएँ आदि।


मौखिक संचार के लाभ -


इस पद्धति से समय व धन दोनों की बचत होती है।


इसे आसानी से समझा जा सकता है।


संकटकालीन अवधि में कार्य में गति लाने के लिए मौखिक पद्धति एक मात्र विधि होती है।


मौखिक संचार लिखित संचार की तुलना में अधिक लचीला होता है।


मौखिक संचार पारस्परिक सद्भाव व सविश्वास में वृद्धि करता है।


मौखिक संचार के दोष


मौखिक वार्ता को बातचीत के उपरान्त पुनः प्रस्तुत करने का प्रश्न ही नहीं उठता।


मौखिक वार्ता भावी संदर्भ के लिए अनुपयुक्त है।


मौखिक सन्देशवाहन में सूचनाकर्ता को सोचने का अधिक मौका नहीं मिलता।


खर्चीला


तैयारी की आवश्यकता ।


अपूर्ण ।


5. अमौखिक संचार


यह संचार का प्रकार है जो न मौखिक होता है और न ही लिखित। इस संचार में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अमौखिक रूप से सूचना को प्रदान करता है, उदाहरण

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